दिव्या काकरान, सरिता मोर और पिंकी ने गुरूवार को यहां अपने वजन वर्गों में स्वर्ण पदक अपने नाम किये जिससे भारत ने एशियाई चैम्पियनशिप की महिला स्पर्धाओं में पहले दिन दबदबा बनाया। मेजबानों के लिये दिन यादगार रहा जिसमें भारतीय पहलवान पांच में से चार के फाइनल में पहुंची और दिव्या (68 किग्रा), पिंकी (55 किग्रा) और सरिता (59 किग्रा) ने शीर्ष स्थान हासिल किया।
निर्मला देवी को 50 किग्रा में रजत पदक
निर्मला देवी को 50 किग्रा में रजत पदक से संतोष करना पड़ा जबकि किरण (76 किग्रा) ही एकमात्र पहलवान रहीं जो पदक हासिल नहीं कर सकीं। हालांकि चीन और कोरियाई पहलवानों की अनुपस्थिति में और जापान के अपने सर्वश्रेष्ठ पहलवानों को नहीं भेजने से टूर्नामेंट में चुनौती थोड़ी कमजोर पड़ गयी थी। इससे पहले भारत के लिये सीनियर एशियाई चैम्पियनशिप महिला सपर्धा में एकमात्र स्वर्ण नवजोत कौर ने हासिल किया था जिन्होंने 2018 में किर्गिस्तान के बिशकेक में 65 किग्रा का खिताब जीता था।
दिव्या ने फाइनल में जूनियर विश्व चैम्पियन को हराया
जकार्ता एशियाई खेलों का कांस्य पदक जीतने वाली दिव्या ने मजबूत प्रदर्शन किया और अपने सारे मुकाबले प्रतिद्वंद्वियों को चित करके जीते जिसमें जापान की जूनियर विश्व चैम्पियन नरूहा मातसुयुकी को हराना भी शामिल रहा। दिव्या ने पांच पहलवानों के 68 किग्रा वर्ग में अपने सभी चार मुकाबले जीते जो राउंड रोबिन प्रारूप में खेला गया। उन्होंने पहले कजाखस्तान की एलबिना कैरजेलिनोवा को पस्त किया और फिर मंगोलिया की डेलगेरमा एंखसाइखान को पराजित किया। मंगोलियाई पहलवान के खिलाफ उनका डिफेंस कुछ कमजोर दिखा लेकिन वह अपनी प्रतिद्वंद्वी को हराने में सफल रहीं।
उज्बेक पहलवान को 27 सेकेंड में चित कर दी
तीसरे दौर में दिव्या का सामना उज्बेकिस्तान की एजोडा एसबर्जेनोवा से था और उन्होंने 4-0 की बढ़त बनाने के बाद अपनी प्रतिद्वंद्वी को महज 27 सेकेंड में मात दी। जापान की जूनियर विश्व चैम्पियन के खिलाफ दिव्या ने 4-0 की बढ़त हासिल कर ली। जापानी पहलवान ने दूसरे पीरियड में मजबूत शुरूआत की और भारतीय पहलवान के बायें पैर पर हमला किया लेकिन उन्होंने अंक दायें पैर पर आक्रमण से जुटाये जिससे स्कोर 4-4 हो गया। दिव्या ने हालांकि फिर प्रतिद्वंद्वी को चित कर दिया। इसके बाद वह मैट से उतरकर कोचों के साथ जश्न मनाने लगी जिसके बाद रैफरी ने अधिकारिक रूप से उन्हें 6-4 से विजेता घोषित किया। उन्होंने मुकाबले के बाद कहा, ‘‘मुझे पांच अंक जुटाने के लिये अपने सभी मैचों में चित करके जीत हासिल करनी थी क्योंकि जापान की पहलवान अपने सभी मुकाबले बड़े अंतर से जीत रही थी इसलिये बड़ी जीत के लिये मैंने जोखिम लिया। ’’
चीन की पहलवानों की अनुपस्थिति से मुकाबला कमजोर
चीन की पहलवानों की अनुपस्थिति से मदद मिली तो उन्होंने इसे स्वीकार करते हुए कहा, ‘‘हां, इससे फायदा मिला। लेकिन अगर मुकाबला पांच पहलवानों के बीच होता है तो यह और मुश्किल हो जाता है, आपको हर मुकाबले में बड़ी जीत हासिल करनी होती है। मैंने दो घंटे के अंदर चार मुकाबले जीते। हालांकि शारीरिक रूप से यह मुश्किल था लेकिन अच्छी चीज है कि मैंने सही तरह से आक्रमण किया। ’’
सरिता ने मंगोलियाई पहलवान को 3-2 से हराया
सरिता 2017 में 58 किग्रा में रजत पदक जीतने के बाद अपनी पहली एशियाई प्रतियोगिता में भाग ले रही हैं। उन्होंने कजाखस्तान की मदीना बाकबेरजेनोवा और किर्गिस्तान की नाजिरा मार्सबेकिजी के खिलाफ अपने पहले दो मुकाबले तकनीकी श्रेष्ठता के आधार पर जीते। इसके बाद उन्होंने जापान की युमी कोन पर 10-3 से जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने फाइनल में मंगोलिया की बातसेतेग अटलांटसेतसेग को 3-2 से हराया। वह स्कोर बराबरी के बाद अंक जुटाकर इस प्रतियोगिता में पहला स्वर्ण पदक जुटाने में सफल रहीं।
पिंकी ने डुलगुन बोलोरमा पर 2-1 से जीत की
पहली बार सीनियर एशियाई प्रतियोगिता में भाग ले रहीं पिंकी ने उज्बेकिस्तान की शोकिदा अखमेदोवा को चित करके शुरूआत की और फिर अगले मुकाबले में जापान की काना हिगाशिकावा को पराजित किया। फिर उन्होंने सेमीफाइनल में मारिना जुयेवा को 6-0 से हराया। उन्होंने मंगोलिया की डुलगुन बोलोरमा पर 2-1 की जीत से स्वर्ण पदक हासिल किया।
पिंकी ने कहा, ‘‘मैं थोड़ी सतर्क थी क्योंकि मैं अपनी कोहनी चोटिल करा बैठी थी। मैं इसे बढ़ाना नहीं चाहती थी क्योंकि आगे और अधिक महत्वपूर्ण टूर्नामेंट हैं। ’’ निर्मला देवी जापान की मिहो इगाराशी से 2-3 से हार गयी जिससे उन्हें रजत से संतोष करना पड़ा। उन्होंने मंगोलिया की मुंखनार बाईयाम्बासुरेन को 6-4 और उज्बेकिस्तान की दौलेतबाइक याखशिमुरातोवा पर तकनीकी श्रेष्ठता से जीत हासिल की थी
भारतीय महिला पहलवानों का रुतबा